बहराइच में हाल ही में हुई हिंसा ने उत्तर प्रदेश में कानून-व्यवस्था और राजनीतिक दिशा पर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस घटना के पीछे मुख्य आरोपियों के नाम सामने आए हैं, जो प्रेम कुमार मिश्रा और सबूरी मिश्रा बताए गए हैं। यह विशेष ध्यान देने योग्य बात है कि यह दोनों व्यक्ति हिंदू समुदाय से आते हैं, जो इस घटनाक्रम को एक अनोखी दिशा देता है। इसमें न सिर्फ समुदाय विशेष का विषय उभर कर आया है, बल्कि समाज के एक व्यापक वर्ग को यह सोचने पर मजबूर किया है कि आखिर आज के समाज में इस प्रकार की घटनाएँ क्यों हो रही हैं।
घटना के प्रमुख तथ्य
बहराइच की इस हिंसा में ब्राह्मण समुदाय से जुड़े कई पहलुओं पर सवाल उठाए गए हैं। इस हिंसा में घायल हुए और दोषी ठहराए गए लोगों का ताल्लुक ब्राह्मण समाज से है। जो शख्स मारे गए, उनके नाम राम गोपाल मिश्रा थे, जबकि जिन लोगों को पुलिस ने दंगा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया, वे प्रेम कुमार मिश्रा और सबूरी मिश्रा हैं। इस हिंसा का विस्तार इतना बढ़ गया कि पूरे क्षेत्र में तनाव फैल गया और पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाने पड़े।
संदीप मिश्रा, जो एक ब्राह्मण नेता हैं, ने इस मुद्दे पर खुलकर अपनी राय दी और इसे “बड़ा हृदय विदारक” बताया। उन्होंने कहा कि बहराइच में जितने भी गोली से घायल हुए या जिन्होंने हिंसा का सामना किया, वे सभी ब्राह्मण समुदाय से थे। यहां तक कि जिन लोगों के घर जले, वे भी ब्राह्मण ही थे। इस घटनाक्रम ने ब्राह्मण समाज के भीतर भी कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
बहराइच हिंसा और योगी सरकार का दृष्टिकोण
बहराइच में हुई हिंसा को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार पर भी सवाल उठाए गए हैं। संदीप मिश्रा ने योगी सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस प्रकार की हिंसा को रोकने में असमर्थ रहे हैं। उन्होंने इस बात को भी उकेरा कि इस हिंसा में कहीं न कहीं सरकार की भूमिका है, जिसने कुछ पुलिसकर्मियों को समय पर हटाकर दंगे को हवा दी। इसके साथ ही विधायक सर्वेश्वर सिंह पर भी सवाल उठाए गए हैं कि क्यों वे ब्राह्मण समाज के प्रति हो रहे अत्याचार पर चुप्पी साधे हुए हैं।
ब्राह्मण समुदाय का आत्मावलोकन
इस पूरी घटना ने ब्राह्मण समुदाय के भीतर आत्मावलोकन का एक नया दौर शुरू किया है। संदीप मिश्रा ने समुदाय के लोगों को इस बात के लिए प्रेरित किया कि वे खुद से सवाल करें कि आखिर क्यों उनके बच्चे हिंसा में उलझ रहे हैं, क्यों उनके बच्चे दूसरों के बहकावे में आकर अपने ही समाज को नुकसान पहुंचा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि बीजेपी और अन्य राजनीतिक दलों के नेता अपने बच्चों को अच्छे संस्थानों में शिक्षा दिलवा रहे हैं, और वहीं गरीब ब्राह्मण समाज के बच्चे झंडे और नारों में उलझकर अपने भविष्य को अंधकार में धकेल रहे हैं।
मीडिया और पुलिस की भूमिका
इस पूरे मामले में मीडिया की भूमिका भी काफी महत्वपूर्ण रही है। पत्रकारों द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन ने प्रेम कुमार मिश्रा और सबूरी मिश्रा के हिंसा में शामिल होने के तथ्यों को उजागर किया। इसके अनुसार, पुलिस को दो घंटे के लिए क्षेत्र से हटा दिया गया था, जिसके कारण हिंसा को और बढ़ावा मिला। पत्रकारों ने पुलिस अधिकारी एस के वर्मा के बयान का हवाला देते हुए कहा कि यह हिंसा सुनियोजित थी और कुछ बाहरी तत्वों ने इसे भड़काने में भूमिका निभाई थी।
बुलडोजर न्याय की आलोचना
इस घटना के बाद “बुलडोजर न्याय” पर भी सवाल उठे हैं। संदीप मिश्रा ने कहा कि योगी सरकार को केवल आम जनता के घरों को गिराने में दिलचस्पी है, जबकि जिन अधिकारियों ने अवैध निर्माण के लिए अनुमति दी, उन पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती।
नफरत का माहौल और इसके दुष्प्रभाव
भारत में बीते कुछ समय से नफरत का माहौल बढ़ता जा रहा है। संदीप मिश्रा ने इस पर विशेष जोर देते हुए कहा कि हिंदू धर्म का मूल उद्देश्य सभी का कल्याण है, फिर क्यों हम अपने ही धर्म के दूसरे समुदायों के प्रति नफरत का बीज बोने लगे हैं?
उन्होंने कहा कि यह सरकार पिछले दस सालों से एक खास वर्ग को नफरत का शिकार बना रही है और इससे न केवल समाज का बुरा हाल हो रहा है, बल्कि देश के भविष्य पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है। हिंदू और मुसलमान दोनों को इस नफरत की आग में झोंका जा रहा है, जो हमारे समाज और हमारे संविधान के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
धर्म के नाम पर राजनीति और जनता का शोषण
संदीप मिश्रा ने यह भी कहा कि यह राजनीति धर्म के नाम पर कुर्सी पाने की लालसा में किसी भी हद तक जा सकती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि आज के दौर में नेताओं के बच्चों का भविष्य सुरक्षित है, लेकिन गरीबों के बच्चों को हिंसा और धर्म के नाम पर बलिदान किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह सत्ता और कुर्सी की राजनीति इतनी भयानक है कि इसके प्रभाव को मिटाने में देश को कई साल लग जाएंगे।
उत्तर प्रदेश का मॉडल और सरकार की निष्पक्षता पर सवाल
योगी सरकार की निष्पक्षता पर सवाल उठाते हुए संदीप मिश्रा ने कहा कि अगर राज्य सरकार बुलडोजर चलाने में इतनी निष्पक्ष है, तो उसे उन अधिकारियों पर भी कार्रवाई करनी चाहिए, जिन्होंने इन अवैध निर्माणों को मंजूरी दी है। उन्होंने कहा कि पुलिस और प्रशासन दंगे के समय ही क्यों सक्रिय होते हैं? अगर अवैध निर्माण है तो उसे शांति के समय में भी गिराया जा सकता है।
भविष्य के लिए मार्गदर्शन
इस पूरे घटनाक्रम से समाज के एक बड़े वर्ग को यह सीखने की जरूरत है कि किसी भी प्रकार की हिंसा या नफरत का हिस्सा बनने से बचना चाहिए। यह जरूरी है कि हम अपने बच्चों को सही दिशा में मार्गदर्शित करें और उन्हें बताएं कि किसी भी प्रकार की हिंसा, चाहे वह धर्म के नाम पर हो या किसी और चीज के नाम पर, गलत है।
इस प्रकार की हिंसा और नफरत से न तो समाज का कल्याण होता है और न ही देश का। जरूरत है कि हम सभी अपने बच्चों को शिक्षित करें और उन्हें समझाएं कि इस प्रकार की घटनाएँ न केवल हमारे समाज को कमजोर बनाती हैं बल्कि हमारे देश की प्रगति में भी बाधा डालती हैं।
निष्कर्ष
बहराइच हिंसा ने यह साबित कर दिया है कि समाज में फैली नफरत और भेदभाव का असर सबसे पहले कमजोर वर्ग पर पड़ता है। जरूरत है कि हम सभी इस प्रकार की राजनीति से दूर रहें और अपने समाज को एकजुट रखने की दिशा में काम करें।
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