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Jhansi fire tragedy and Chief Minister Yogi Adityanath’s priorities: A harsh review

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झांसी अग्निकांड और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्राथमिकताएं: एक कठोर समीक्षा

 

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में हुए दर्दनाक अग्निकांड ने 10 नवजात बच्चों की जान ले ली। यह घटना इतनी भयावह थी कि पूरे देश में शोक और आक्रोश की लहर फैल गई। जहां इस हादसे ने परिजनों की दुनिया को उजाड़ दिया, वहीं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने चुनावी अभियानों में व्यस्त नजर आए। सवाल यह उठता है कि क्या राज्य के मुखिया को ऐसी स्थिति में अपनी प्राथमिकताएं नहीं बदलनी चाहिए थीं?

इस ब्लॉग में, हम इस त्रासदी, सरकार की प्रतिक्रिया, और जिम्मेदारियों पर चर्चा करेंगे।


झांसी अग्निकांड: क्या हुआ और क्यों हुआ?

घटना का विवरण

झांसी के महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज में सोमवार रात लगभग 10:30 बजे आग लग गई।

  • कारण: शुरुआती रिपोर्ट्स के अनुसार, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट से आग लगी।
  • नुकसान:
    • 10 नवजात बच्चों की मौत।
    • 39 बच्चों को सुरक्षित बचाया गया।

लापरवाही के आरोप

  • अग्निशमन यंत्र एक्सपायर्ड थे और काम नहीं कर पाए।
  • फायर अलार्म सिस्टम सक्रिय नहीं था।
  • एनआईसीयू में सिर्फ एक प्रवेश और निकासी मार्ग था, जिससे रेस्क्यू मुश्किल हो गया।
  • डॉक्टर और स्टाफ मौके से भाग गए, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।

दर्दनाक वास्तविकता: परिजनों को उनके बच्चों की जली हुई लाशें दी गईं, और कई अब भी अपने नवजातों को खोज रहे हैं।


मुख्यमंत्री की प्राथमिकताएं: संवेदनशीलता की कमी

योगी आदित्यनाथ की चुनावी व्यस्तता

  • हादसे के दिन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फूलपुर, कानपुर, अलीगढ़, और गाजियाबाद में चुनावी सभाएं करते रहे।
  • झांसी जाने के बजाय उन्होंने घटनास्थल पर जाने की जिम्मेदारी डिप्टी सीएम बृजेश पाठक को सौंप दी।
  • अपनी एक सभा में उन्होंने घटना पर रस्म अदायगी की तरह शोक व्यक्त किया।

क्या यह पर्याप्त था? राज्य के मुख्यमंत्री से यह उम्मीद की जाती है कि वह ऐसी घटनाओं पर व्यक्तिगत रूप से प्रतिक्रिया दें और घटनास्थल पर जाकर स्थिति का जायजा लें।


सरकारी प्रतिक्रिया: क्या यह संतोषजनक है?

घटनास्थल पर कदम

  • डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक ने मेडिकल कॉलेज का दौरा किया।
  • जांच के आदेश दिए गए।

मुआवजे की घोषणा

  • मृतक बच्चों के परिजनों को ₹5 लाख का मुआवजा।
  • घायल बच्चों के परिजनों को ₹50,000 का मुआवजा।

सवाल बाकी हैं

  • मुआवजा देना समस्या का समाधान नहीं है।
  • अग्निकांड जैसी घटनाएं खराब प्रबंधन और भ्रष्टाचार की पोल खोलती हैं।
  • क्यों राज्य के मेडिकल कॉलेज में फायर सेफ्टी सिस्टम ठीक से काम नहीं कर रहे थे?

परिजनों की पीड़ा: सवाल जिनका जवाब जरूरी है

बेसहारा माता-पिता

  • बच्चों को खोने वाले माता-पिता का रो-रोकर बुरा हाल है।
  • कई परिवार अब भी अपने बच्चों की तलाश कर रहे हैं।

दोषियों को कब सजा?

  • प्रशासन और मेडिकल कॉलेज के प्रबंधन पर लापरवाही के गंभीर आरोप हैं।
  • क्या दोषियों को सजा मिलेगी, या यह मामला भी अन्य त्रासदियों की तरह ठंडे बस्ते में चला जाएगा?

परिवारों की उम्मीद: वे चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच हो और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जाए।


विपक्ष और जनता का गुस्सा

विपक्षी नेताओं की प्रतिक्रियाएं

  • राहुल गांधी: “यह सरकार की लापरवाही का परिणाम है। तत्काल जांच और सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।”
  • अखिलेश यादव: “यह घटना प्रशासन की नाकामी को दर्शाती है।”
  • प्रियंका गांधी: “मां-बाप की पीड़ा को समझना चाहिए। सरकार को जवाबदेह होना चाहिए।”
  • मायावती: “ऐसी घटनाओं की भरपाई संभव नहीं है। सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों को सजा देनी चाहिए।”

सोशल मीडिया पर आक्रोश

घटना के बाद सोशल मीडिया पर लोगों ने सरकार की लापरवाही और संवेदनहीनता पर तीखी प्रतिक्रियाएं दीं।


इस घटना से क्या सबक लेने चाहिए?

  1. फायर सेफ्टी पर ध्यान दें
    • सभी अस्पतालों में फायर सेफ्टी सिस्टम का मेंटेनेंस नियमित रूप से होना चाहिए।
    • एक्सपायर्ड अग्निशमन यंत्रों को तुरंत बदला जाए।
  2. जिम्मेदारी तय हो
    • लापरवाही करने वाले अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई हो।
    • अस्पताल प्रबंधन और स्वास्थ्य विभाग के कामकाज की जांच हो।
  3. सीएम की संवेदनशीलता
    • ऐसी घटनाओं पर मुख्यमंत्री को व्यक्तिगत रूप से सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए।
    • चुनावी व्यस्तताओं के बजाय जनता की पीड़ा पर ध्यान देना चाहिए।

निष्कर्ष: क्या योगी सरकार ने सही कदम उठाए?

झांसी अग्निकांड ने एक बार फिर सरकार की लापरवाही और प्राथमिकताओं को उजागर किया है।

  • मुआवजा और जांच के आदेश पर्याप्त नहीं हैं।
  • ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है।
  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को अपनी संवेदनशीलता दिखाने के लिए झांसी जाना चाहिए था।

यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हमारी सरकारें जनता की जान से ज्यादा चुनावी जीत को प्राथमिकता देती हैं।


अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

1. झांसी अग्निकांड का मुख्य कारण क्या था?
ऑक्सीजन कंसंट्रेटर में शॉर्ट सर्किट के कारण आग लगी, और फायर सेफ्टी उपकरण काम नहीं कर रहे थे।

2. क्या मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ झांसी गए?
नहीं, मुख्यमंत्री ने घटनास्थल पर जाने के बजाय चुनावी सभाएं कीं।

3. सरकार ने क्या कदम उठाए?
मृतकों के परिजनों को मुआवजा और जांच के आदेश दिए गए।

4. क्या अस्पताल प्रबंधन पर कार्रवाई होगी?
फिलहाल जांच जारी है, लेकिन कार्रवाई की उम्मीद जनता कर रही है।

5. ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
फायर सेफ्टी सिस्टम को अपडेट करना, अस्पताल प्रबंधन की जवाबदेही तय करना, और नियमित जांच।


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